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bukhar ke upay

बुखार में राहत पाने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे bukhar ke upay

bukhar एक आम समस्या है, जो किसी को भी हो सकती है। इसके पीछे कुछ स्पष्ट कारण होते हैं, जैसे वायरस, बैक्टीरिया या किसी प्रकार का संक्रमण। यह शरीर की एक सामान्य प्रतिक्रिया है, जो अंदर चल रही गड़बड़ी का संकेत देती है। बहुत से लोग इंटरनेट पर “bukhar kyu hota hai in Islam” जैसे सवाल सर्च करते हैं  इस संदर्भ में स्पष्ट कर दूं कि बुखार का धर्म, जाति या समुदाय से कोई लेना-देना नहीं होता। चाहे वह इस्लाम हो या कोई और धर्म, बीमारी सिर्फ बीमारी होती है, और उसका इलाज केवल मेडिकल साइंस और दवाओं से संभव है।

कई लोग यह भी सर्च करते हैं: “बुखार उतारने के टोटके”। मैं किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहती , मेरा उद्देश्य केवल आपको विज्ञान आधारित जानकारी देना है। झाड़-फूंक या टोटकों की बजाय कारण जाने । बुखार के मुख्य कारणों में वायरल संक्रमण, मौसम में बदलाव या कमजोर इम्यून सिस्टम शामिल हैं। सही जानकारी, समय पर इलाज और आराम ही बुखार से राहत का वास्तविक तरीका है।

bukhar के लक्षणों कैसे होते है ?

बुखार के लक्षणों में शरीर का ताप बढ़ना, ठंड लगना, सिरदर्द, कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द और पसीना आना शामिल है। कई बार भूख कम लगती है और नींद में भी परेशानी होती है। समय पर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकता है। इसलिए बुखार के कारण और लक्षणों को पहचानना जरूरी है।

bukhar में शरीर का तापमान क्यों बढ़ता है

जब शरीर में वायरस या बैक्टीरिया प्रवेश करते हैं, तो इम्यून सिस्टम सक्रिय होकर शरीर का तापमान बढ़ा देता है। यह प्रक्रिया संक्रमण से लड़ने का एक प्राकृतिक तरीका है। बुखार, यानी तापमान का बढ़ना, रोगों से रक्षा करने वाली एक महत्वपूर्ण जैविक क्रिया मानी जाती है।

वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से बुखार

वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण तब लगते हैं जब हम साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते, बार-बार गंदे हाथों से मुंह या आंखें छूते हैं, या संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक रहते हैं। बाहर का दूषित खाना, अधपका मांस, गंदा पानी पीना और भीड़भाड़ वाली जगहों में बिना मास्क रहना संक्रमण के खतरे को बढ़ाता है। कमजोर इम्यून सिस्टम होने पर भी शरीर जल्दी संक्रमित हो जाता है। सही आदतें और साफ-सफाई इन बीमारियों से बचाव में मदद करती हैं।

आयुर्वेद में बुखार का इलाज कैसे किया जाता है?

आयुर्वेद के अनुसार बुखार वात, पित्त और कफ दोष के असंतुलन से होता है। इलाज में शरीर को संतुलित करने वाले जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है, जैसे तुलसी, गिलोय, अदरक और हल्दी। गुनगुना पानी, काढ़ा, और उचित आहार से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा रोग की जड़ तक जाकर इलाज करती है, जिससे बुखार का स्थायी समाधान संभव होता है। यह उपचार बिना साइड इफेक्ट के होता है।

त्रिदोष सिद्धांत के अनुसार बुखार – वात, पित्त और कफ का असंतुलन

आयुर्वेद में बुखार को त्रिदोष सिद्धांत से जोड़ा गया है। जब वात, पित्त और कफ में असंतुलन होता है, तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और बुखार उत्पन्न होता है। पित्त दोष का बढ़ना शरीर में गर्मी लाता है, जिससे तापमान बढ़ता है। कफ दोष से जकड़न और बलगम बनता है, जबकि वात दोष से ठंड लगना, कंपकंपी और कमजोरी महसूस होती है। आयुर्वेद में इन दोषों को संतुलित कर बुखार का इलाज किया जाता है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बुखार की पहचान

आयुर्वेद के अनुसार बुखार तब होता है जब शरीर में त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) असंतुलित हो जाते हैं। पित्त दोष के बढ़ने से शरीर में अधिक गर्मी और जलन होती है, जबकि कफ दोष जकड़न और भारीपन पैदा करता है। वात दोष से ठंड लगना और कंपकंपी महसूस होती है। आयुर्वेदिक पहचान में नाड़ी परीक्षण, जीभ का रंग, पसीना, भूख और थकान जैसे लक्षणों को देखकर रोग की जड़ को समझा जाता है। यह दृष्टिकोण शरीर और मन दोनों को संतुलित करने पर केंद्रित है।

बुखार में आराम देने वाले असरदार आयुर्वेदिक नुस्खे

आयुर्वेद में बुखार के लिए कई असरदार घरेलू नुस्खे बताए गए हैं। तुलसी का काढ़ा, गिलोय का रस, अदरक-शहद का मिश्रण और हल्दी वाला दूध बुखार में राहत देते हैं। ये नुस्खे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और विषैले तत्वों को बाहर निकालते हैं। गुनगुना पानी पीना, पाचन को सुधारना और आराम करना भी जरूरी होता है। ये उपाय प्राकृतिक हैं, बिना साइड इफेक्ट के असर दिखाते हैं। नियमित सेवन से बुखार की जड़ तक जाकर इलाज संभव होता है।

तुलसी का काढ़ा – तुलसी, अदरक, काली मिर्च का मिश्रण

तुलसी का काढ़ा आयुर्वेद में बुखार के लिए एक बेहद असरदार घरेलू उपाय माना जाता है। इसमें तुलसी की पत्तियां, कद्दूकस किया हुआ अदरक और काली मिर्च का मिश्रण उबालकर तैयार किया जाता है। यह काढ़ा इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, शरीर में जमा विषैले तत्वों को बाहर निकालता है और वायरल संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। दिन में दो बार इसका सेवन करने से बुखार में राहत मिलती है, और गले की खराश व जुकाम में भी फायदा होता है।

दिन में दो बार सेवन करें

हल्दी वाला दूध – संक्रमण और सूजन में लाभकारी

हल्दी वाला दूध आयुर्वेद में एक प्रभावशाली प्राकृतिक औषधि माना जाता है, जो संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद करता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह दूध इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और शरीर को अंदर से गर्म रखता है। बुखार के दौरान रात को सोने से पहले गर्म हल्दी दूध पीने से थकान, बदन दर्द और गले की खराश में राहत मिलती है। यह घरेलू उपाय सुरक्षित और असरदार होता है।

रात को सोने से पहले लें

धनिया बीज का पानी – पाचन को सुधारता है और बुखार कम करता है

धनिया बीज का पानी आयुर्वेद में बुखार के लिए एक सरल और असरदार घरेलू उपाय माना जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालते हैं और पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं। एक चम्मच धनिया बीज को पानी में उबालकर छान लें और गुनगुना पीएं। यह उपाय शरीर की गर्मी को संतुलित करता है और बुखार से राहत दिलाता है। साथ ही यह भूख बढ़ाने और गैस जैसी समस्याओं में भी फायदेमंद होता है।

गिलोय की बेल – इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है

गिलोय की बेल को आयुर्वेद में “अमृता” कहा गया है, क्योंकि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बेहद असरदार मानी जाती है। गिलोय का रस वायरल बुखार, डेंगू, मलेरिया जैसे संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है। यह खून को शुद्ध करता है, पाचन को सुधारता है और शरीर में जमा टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। रोज सुबह खाली पेट गिलोय रस पीने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और बार-बार होने वाले बुखार से राहत मिलती है। यह पूरी तरह प्राकृतिक उपाय है।

सुबह खाली पेट लें

सौंठ और गुड़ का मिश्रण – पुराने बुखार में असरदार

सौंठ (सूखा अदरक) और गुड़ का मिश्रण आयुर्वेद में पुराने या बार-बार होने वाले बुखार के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। सौंठ में एंटी-इंफ्लेमेटरी और पाचन सुधारक गुण होते हैं, जबकि गुड़ शरीर को ऊर्जा देता है और रक्त को शुद्ध करता है। यह मिश्रण शरीर में गर्मी बनाए रखता है और बलगम व कफ को दूर करता है। एक चम्मच सौंठ पाउडर में थोड़ा गुड़ मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। यह उपाय प्राकृतिक है और बिना साइड इफेक्ट के राहत देता है।

गर्म पानी के साथ सेवन करें

बुखार में किन बातों का ध्यान रखें?

बुखार के दौरान शरीर कमजोर हो जाता है, इसलिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। भरपूर आराम करें और हल्का, सुपाच्य भोजन लें ताकि पाचन तंत्र पर ज़्यादा दबाव न पड़े। गुनगुना पानी पिएं और शरीर को हाइड्रेट रखें। ठंडी चीज़ों से बचें और अधिक गर्म कपड़े पहनने से भी परहेज़ करें। शरीर का तापमान लगातार चेक करते रहें और बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक न लें। सही देखभाल से बुखार जल्दी ठीक हो सकता है।

भरपूर आराम करें

बुखार के दौरान शरीर थका हुआ और कमजोर महसूस करता है, इसलिए भरपूर आराम करना सबसे जरूरी होता है। जब आप पर्याप्त नींद लेते हैं और शारीरिक मेहनत से बचते हैं, तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर तरीके से काम करती है। आराम करने से इम्यून सिस्टम को संक्रमण से लड़ने का समय और ऊर्जा मिलती है। बुखार में अधिक चलना-फिरना या मानसिक तनाव शरीर की रिकवरी को धीमा कर सकता है। इसलिए आराम को प्राथमिकता देना जरूरी है।

हल्का और सुपाच्य भोजन लें

बुखार के दौरान पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है, इसलिए हल्का और सुपाच्य भोजन लेना जरूरी होता है। खिचड़ी, दाल का पानी, सूप, उबली हुई सब्जियां और फल जैसे भोजन शरीर को ऊर्जा देते हैं और आसानी से पचते हैं। तली-भुनी, मसालेदार या ठंडी चीज़ों से परहेज़ करें क्योंकि ये पाचन पर असर डाल सकती हैं। सुपाच्य भोजन शरीर को पोषण देने के साथ-साथ रिकवरी को तेज करता है और कमजोरी दूर करता है। सही आहार से इलाज का असर दोगुना हो जाता है।

गुनगुना पानी पिएं

बुखार में गुनगुना पानी पीना शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। यह गले की खराश, शरीर की जकड़न और पाचन समस्याओं में राहत देता है। गुनगुना पानी शरीर को डिटॉक्स करता है और विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होता है। ठंडा पानी या बर्फ से बनी चीज़ों से बचना चाहिए क्योंकि ये शरीर को और अधिक कमजोर बना सकते हैं। हर घंटे थोड़ा-थोड़ा गुनगुना पानी पीते रहना फायदेमंद होता है।

शरीर को हाइड्रेटेड रखें

बुखार के दौरान शरीर से पसीना अधिक निकलता है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। इसलिए दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी, नींबू पानी, नारियल पानी या इलेक्ट्रोलाइट वाले पेय पीते रहना जरूरी है। हाइड्रेटेड रहने से शरीर की कोशिकाएं ठीक से काम करती हैं और बुखार से जल्दी राहत मिलती है। डिहाइड्रेशन से थकान, सिरदर्द और चक्कर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। समय-समय पर तरल पदार्थ लेते रहना, बुखार की स्थिति में बेहद जरूरी और लाभकारी होता है।

कब डॉक्टर से संपर्क करें?

अगर बुखार तीन दिन से ज्यादा बना रहे या दवा लेने के बाद भी तापमान कम न हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। तेज सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, लगातार उल्टी, बेहोशी या अत्यधिक कमजोरी जैसे लक्षण गंभीर संकेत हो सकते हैं। बच्चों, बुजुर्गों या पहले से बीमार व्यक्ति में बुखार को हल्के में न लें। देरी करना नुकसानदायक हो सकता है। डॉक्टर की सलाह से सही जांच और इलाज मिलना जरूरी है ताकि बीमारी आगे न बढ़े और समय पर नियंत्रण हो सके।

google खोजे गए प्रश्न

1. बुखार में रोटी खाना चाहिए या नहीं?
उत्तर:
बुखार में रोटी खाना बिल्कुल सुरक्षित है, लेकिन इसे नरम और बिना ज्यादा मसाले या घी के बनाना चाहिए। रोटी हल्की और सुपाच्य होती है, जो शरीर को ऊर्जा देती है और पाचन पर ज़्यादा बोझ नहीं डालती। अगर भूख कम हो तो रोटी की जगह खिचड़ी या दाल का पानी बेहतर विकल्प हो सकता है।

2. बुखार में रम पी सकते हैं?
उत्तर:
बुखार के दौरान रम या कोई भी शराब नहीं पीनी चाहिए। शराब शरीर को डिहाइड्रेट करती है, जिससे बुखार और बढ़ सकता है। साथ ही, दवाओं के साथ मिलकर यह शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। रिकवरी के लिए हाइड्रेशन और आराम जरूरी है, ना कि एल्कोहल।

3. बुखार में रोटी खाएं या चावल?
उत्तर:
बुखार में रोटी और चावल दोनों खाए जा सकते हैं, लेकिन सुपाच्य रूप में। नरम रोटी या हल्की खिचड़ी सबसे अच्छे विकल्प होते हैं। चावल में पानी अधिक होता है, जो शरीर को हाइड्रेट रखता है, जबकि रोटी में फाइबर होता है। दोनों में से जो अधिक आरामदायक लगे, उसे खाएं।

4. बुखार में रसगुल्ला खा सकते हैं?
उत्तर:
रसगुल्ला में बहुत अधिक चीनी होती है, जो बुखार के दौरान शरीर पर अनावश्यक लोड डाल सकती है। यदि बुखार वायरल या संक्रमण से जुड़ा है, तो मीठा कम से कम लें। ताज़ा फल या नारियल पानी बेहतर विकल्प हैं। मिठाई से परहेज़ करें जब तक शरीर पूरी तरह स्वस्थ न हो।

5. बुखार में चावल खाना चाहिए?
उत्तर:
बुखार में उबला हुआ चावल या हल्की खिचड़ी खाना फायदेमंद होता है। यह सुपाच्य होता है और पेट पर बोझ नहीं डालता। चावल में कार्बोहाइड्रेट होता है, जो शरीर को ऊर्जा देता है। ज्यादा तेल-मसाले वाले चावल से बचें।

6. बुखार में रायता खा सकते हैं?
उत्तर:
बुखार में दही या रायता का सेवन थोड़ा सावधानी से करना चाहिए। अगर बुखार के साथ सर्दी-जुकाम है, तो ठंडी चीजें नुकसान कर सकती हैं। गर्मियों में अगर डॉक्टर ने मना न किया हो, तो थोड़ी मात्रा में ताज़ा रायता खाया जा सकता है।

7. बुखार में क्या खाएं?
उत्तर:
बुखार में हल्का और सुपाच्य भोजन जैसे खिचड़ी, दाल का पानी, उबली सब्ज़ियां, सूप और फल खाने चाहिए। ये पचने में आसान होते हैं और शरीर को ऊर्जा देते हैं। तली-भुनी, मसालेदार और ठंडी चीज़ों से परहेज़ करें।

8. बुखार में केला खाना चाहिए?
उत्तर:
हाँ, बुखार में पका हुआ केला खाया जा सकता है। यह ऊर्जा देता है, पाचन में मदद करता है और शरीर को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करता है। लेकिन ठंडा केला न खाएं, और सीमित मात्रा में सेवन करें।

9. बुखार में दही खाना चाहिए?
उत्तर:
अगर बुखार के साथ सर्दी-जुकाम है, तो दही से बचें क्योंकि यह ठंडी तासीर का होता है। गर्मियों के बुखार में डॉक्टर की सलाह से थोड़ा ताजा दही खाया जा सकता है। बासी या ठंडा दही बिल्कुल न लें।

10. बुखार में मुंह कड़वा होना
उत्तर:
बुखार के दौरान मुंह का स्वाद कड़वा लगना सामान्य है। यह शरीर के तापमान बढ़ने और पाचन तंत्र के धीमा होने के कारण होता है। अधिक पानी पिएं, नींबू पानी या इलायची चबाएं, इससे स्वाद में सुधार हो सकता है।

11. बुखार में ठंड लगना क्यों होता है?
उत्तर:
बुखार में शरीर का तापमान बढ़ रहा होता है, लेकिन त्वचा को ठंड महसूस होती है। यह इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया है। जब शरीर तापमान बढ़ाता है, तो कंपकंपी और ठंड लगना शुरू हो जाता है — यह सामान्य लक्षण है।

12. बुखार में दूध पीना चाहिए?
उत्तर:
अगर भूख है और दूध से कोई एलर्जी नहीं है, तो हल्का गर्म दूध पी सकते हैं। इसमें हल्दी मिलाकर पीना और भी लाभकारी होता है। ठंडा दूध या ज्यादा भारी दूध से परहेज़ करें, खासकर अगर डाइजेशन कमजोर हो।

13. बुखार में घरेलू उपाय कौन-से हैं?
उत्तर:
तुलसी का काढ़ा, गिलोय रस, हल्दी वाला दूध, धनिया बीज का पानी और अदरक-शहद का सेवन बुखार के असरदार आयुर्वेदिक उपाय हैं। ये इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और बिना साइड इफेक्ट के राहत देते हैं।

14. बुखार में क्या नहीं खाना चाहिए?
उत्तर:
ठंडी चीजें, बर्फ, कोल्ड ड्रिंक, तली-भुनी चीजें, अधिक मसालेदार भोजन, भारी मिठाइयां और एल्कोहल से परहेज़ करना चाहिए। ये पाचन पर ज़ोर डालते हैं और रिकवरी धीमी कर सकते हैं।

15. बुखार में अंडा खाना चाहिए?
उत्तर:
अगर पाचन ठीक है और डॉक्टर ने मना नहीं किया है, तो उबला हुआ अंडा या एग व्हाइट खा सकते हैं। यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है, लेकिन बुखार के प्रकार और व्यक्ति की स्थिति के अनुसार सलाह जरूरी है।

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