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types of dengue डेंगू के 4 प्रकार

हमने अपनी पिछली पोस्ट में यह बताया था कि डेंगू dengue से कैसे बचा जा सकता है। आज की इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं कि डेंगू के कितने प्रकार होते हैं और इससे जुड़े छोटे-मोटे आपके मन में उठने वाले सामान्य सवालों के जवाब भी देंगे। अगर आपने हमारी पिछली पोस्ट नहीं पढ़ी है तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके जरूर पढ़ें: डेंगू से बचने के आसान घरेलू उपाय।

सबसे पहली बात करेंगे डेंगू के प्रकार के कितने प्रकार का डेंगू होता है

डेंगू के 4 प्रकार (Types of Dengue)

जब भी हम “डेंगू” शब्द सुनते हैं, हमारे मन में डर बैठ जाता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि डेंगू सिर्फ एक तरह का नहीं, बल्कि इसके चार अलग-अलग प्रकार होते हैं। ये चारों प्रकार Dengue Virus के अलग-अलग स्ट्रेन (प्रकार) होते हैं, जिन्हें वैज्ञानिक भाषा में DENV कहा जाता है, यानी Dengue Virus। चलिए एक-एक करके इन सभी प्रकारों को सरल भाषा में समझते हैं:

1. DENV-1 (Dengue Virus Type 1):
यह डेंगू वायरस का सबसे आम प्रकार है और आमतौर पर पहली बार संक्रमित होने वाले लोगों में देखा जाता है। इसके लक्षण हल्के बुखार, बदन दर्द और कमजोरी हो सकते हैं। लेकिन अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह भी गंभीर हो सकता है।

2. DENV-2 (Dengue Virus Type 2):
DENV-2 को डेंगू के चारों प्रकारों में सबसे खतरनाक माना जाता है। यह ज्यादा गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है जैसे कि प्लेटलेट्स की तेजी से गिरावट, खून बहना, और डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) का खतरा। यह टाइप अक्सर दूसरी बार डेंगू होने पर ज्यादा प्रभावी होता है। [ प्लेटलेट्स  के बारे में मैंने पिछले आर्टिकल में आसान शब्दों में बताया है ]

3. DENV-3 (Dengue Virus Type 3):
यह स्ट्रेन भारत और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में समय-समय पर प्रकोप करता है। DENV-3 संक्रमण से मरीज को लगातार तेज बुखार, चकत्ते और आंखों के पीछे दर्द की शिकायत होती है। यह भी खतरनाक है, खासकर अगर शरीर पहले किसी और डेंगू स्ट्रेन से गुजर चुका हो।

4. DENV-4 (Dengue Virus Type 4):
यह डेंगू वायरस का सबसे दुर्लभ प्रकार है लेकिन इसकी मौजूदगी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर किसी को पहले डेंगू हो चुका है और वह DENV-4 से संक्रमित होता है, तो शरीर में इम्यून रिस्पॉन्स काफी तेज हो सकता है जिससे हालत और बिगड़ सकती है।

इन सभी प्रकारों की जानकारी रखना बेहद जरूरी है क्योंकि सही समय पर पहचान और इलाज ही डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव का सबसे सशक्त तरीका है। अपने आसपास मच्छरों से बचाव करें, पानी जमा न होने दें और अगर कोई भी डेंगू जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

डेंगू का डायग्नोसिस (Dengue Diagnosis)

जब कोई बुखार कई दिनों तक बना रहता है, शरीर थक कर चूर हो जाता है और प्लेटलेट्स की गिरावट शुरू हो जाती है, तब एक डर मन में घर कर लेता है  “कहीं यह डेंगू तो नहीं?” ऐसे समय पर डेंगू की सही और समय पर पहचान यानी डायग्नोसिस ही मरीज को गंभीर स्थिति में पहुंचने से रोक सकती है।

NS1 एंटीजन टेस्ट:
डेंगू की शुरुआती पहचान के लिए यह टेस्ट सबसे पहले किया जाता है। बुखार के पहले 1 से 5 दिन के भीतर शरीर में मौजूद डेंगू वायरस का NS1 प्रोटीन खून में पाया जा सकता है। अगर टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो यह इस बात का संकेत है कि शरीर में वायरस एक्टिव है। यह टेस्ट जल्दी डिटेक्शन के लिए बेहद कारगर माना जाता है।

PCR टेस्ट (Polymerase Chain Reaction Test):
यह एक विशेष प्रकार की लेबोरेट्री जांच है, जिसमें डेंगू वायरस के जेनेटिक मटेरियल को खोजा जाता है। PCR टेस्ट न केवल यह पुष्टि करता है कि वायरस मौजूद है, बल्कि यह भी बताता है कि कौन-सा DENV टाइप (1, 2, 3 या 4) सक्रिय है। यह टेस्ट मेडिकल एक्सपर्ट्स को सही इलाज तय करने में मदद करता है।

प्लेटलेट काउंट मॉनिटरिंग:
डेंगू के दौरान सबसे ज्यादा ज़रूरी होता है प्लेटलेट्स की निगरानी। वायरस शरीर के ब्लड प्लेटलेट्स को तेजी से नष्ट करता है, जिससे खून का थक्का नहीं जम पाता और अंदरूनी ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर्स बार-बार Complete Blood Count (CBC) करवाने की सलाह देते हैं, ताकि प्लेटलेट काउंट पर नजर रखी जा सके।

प्लेटलेट्स बढ़ाने के तरीके (How to Increase Platelets in Dengue)

जब डेंगू का वायरस शरीर में फैलता है, तो सबसे पहले हमला करता है प्लेटलेट्स</strong पर — और यहीं से शुरू होती है चिंता की असली जंग। गिरते प्लेटलेट्स केवल एक मेडिकल टर्म नहीं, बल्कि परिवार की चिंता, मां की रातों की नींद और मरीज की हालत बिगड़ने का संकेत बन जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कुछ घरेलू और पोषण से भरपूर उपाय, जो शरीर को अंदर से ताकत दें और प्लेटलेट्स की संख्या को तेजी से बढ़ाएं।

1. पपीते के पत्तों का रस:
डेंगू में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला घरेलू उपाय यही है। पपीते के पत्तों में मौजूद एंजाइम प्लेटलेट्स को प्राकृतिक रूप से बढ़ाने में मदद करते हैं। दिन में दो बार एक गिलास पत्तों का काढ़ा या रस लेने से असर दिखने लगता है।

2. गिलोय का सेवन:
गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे ‘अमृता’ भी कहा जाता है। यह न सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ाता है, बल्कि वायरल संक्रमण में शरीर को जल्दी रिकवर करने में मदद करता है। गिलोय का रस या उसकी गोली दिन में एक बार लेने से प्लेटलेट्स काउंट में सुधार आता है।

3. कीवी और अनार जैसे फल:
डेंगू के मरीजों को ऐसे फल खाने चाहिए जो आयरन और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर हों। कीवी, अनार, पपीता और बेल फल शरीर को ताकत देते हैं और खून में प्लेटलेट्स बनने की प्रक्रिया को तेज करते हैं।

4. नारियल पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स:
हाइड्रेशन डेंगू के इलाज में बहुत अहम भूमिका निभाता है। नारियल पानी,ORS और ताजे फलों के जूस शरीर में पानी की कमी को पूरा करते हैं और प्लेटलेट्स के टूटने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं।

5. आराम और तनाव मुक्त रहना:
शरीर को पूरा आराम देना बेहद जरूरी है, क्योंकि थकावट और तनाव प्लेटलेट्स पर बुरा असर डालते हैं। शांत वातावरण, सही नींद और सकारात्मक सोच से रिकवरी जल्दी होती है।

प्लेटलेट्स बढ़ाना सिर्फ दवाओं का काम नहीं, बल्कि पोषण, प्यार और समय पर देखभाल का मेल है। अगर हम सही उपाय अपनाएं, तो डेंगू को मात देना मुश्किल नहीं है।

गांवों में डेंगू फैलने का अनदेखा सच: गोबर, उपले और मच्छर

देहात की ज़िंदगी में पशुपालन एक आम बात है। लोग मवेशियों को अपने घरों के आंगन या कमरों में ही रखते हैं  चाहे वो भैंस हो, गाय हो या बकरी। इन जानवरों के मल-मूत्र से जहां घर की सफाई होती है, वहीं दूसरी ओर एक छिपा हुआ खतरा भी जन्म लेता है  डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी

गांवों में गोबर से उपले बनाए जाते हैं  जो ईंधन के रूप में इस्तेमाल होते हैं। लेकिन जब यह गोबर ढेरों में इकट्ठा होकर कई दिनों तक खुला पड़ा रहता है, तो उसमें नमी, बदबू और गंदगी के कारण मच्छरों का अड्डा बन जाता है। खासकर Aedes aegypti नाम का मच्छर  जो डेंगू फैलाता है  ऐसी जगहों पर तेजी से पनपता है।

पशुओं के मल-मूत्र से जहां बैक्टीरिया और संक्रमण फैलते हैं, वहीं इनके आसपास गंदे पानी के जमा होने से डेंगू के मच्छर अंडे देते हैं। ये मच्छर दिन में काटते हैं और धीरे-धीरे पूरे परिवार को चपेट में ले लेते हैं और लोग समझ भी नहीं पाते कि बीमारी की जड़ कहां है।

इसलिए जरूरी है कि गांवों में गोबर और मल-मूत्र के निपटानपर ध्यान दिया जाए। उपले ज़रूर बनाएं, लेकिन ढेर को ढककर रखें, जल निकासी का ध्यान रखें और आसपास की सफाई बनाए रखें  तभी हम डेंगू जैसे रोगों को गांवों से दूर कर सकते हैं।

संडे से मंडे: डेंगू डाइट चार्ट (Dengue Diet Chart in Hindi)

दिनसुबह का नाश्तादोपहर का भोजनशाम का स्नैक्सरात का खाना
रविवारपपीते का रस + दलिया + कीवीदाल-चावल + हरी सब्ज़ी + अनारनारियल पानी + हल्का बिस्किटमूंग खिचड़ी + गिलोय का काढ़ा
सोमवारसेब + उबला अंडा (या दाल) + ओआरएसरोटी + लौकी की सब्ज़ी + छाछकीवी + अनार जूसदाल का सूप + साबूदाना खिचड़ी
मंगलवारगिलोय रस + पपीता स्लाइस + टोस्टराइस दलिया + मिक्स वेजिटेबलककड़ी-गाजर सलाद + नारियल पानीरोटी + हलकी सब्ज़ी + फलों का सलाद
बुधवारअनार + ओट्स + हल्दी वाला दूधमूंग दाल + ब्राउन राइस + दहीनींबू पानी + पपीते का रसउपमा + गिलोय/तुलसी का काढ़ा
गुरुवारसेब + दलिया + तुलसी का पानीदाल रोटी + लौकी सब्ज़ी + कीवीछाछ + फल (अनार या अमरूद)खिचड़ी + हल्दी दूध
शुक्रवारपपीता + टोस्ट + नींबू पानीब्राउन ब्रेड + मिक्स वेज सूपनारियल पानी + अनार के दानेरोटी + टमाटर सूप + सलाद
शनिवारगिलोय रस + उबला आलू + ओआरएससाबूदाना + दाल + दहीकीवी + ओट्स बिस्किटसादा खिचड़ी + तुलसी काढ़ा

बुखार और डेंगू में ज़हर जैसी आदतें – भूलकर भी न करें!

आदत / चीज़क्यों खतरनाक है?
बीड़ी, सिगरेट और तंबाकूबुखार या डेंगू में शरीर पहले से कमजोर होता है। धूम्रपान और तंबाकू फेफड़ों को और नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे रिकवरी धीमी हो जाती है और संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
गुटखा, पान मसालाये चीजें शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करती हैं और मुंह से वायरस/बैक्टीरिया के फैलने की संभावना बढ़ती है। डेंगू में इनका सेवन शरीर को अंदर से और जहर देता है।
ठंडा पानी, आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक्सबुखार के समय शरीर का तापमान असंतुलन में होता है। ऐसे में ठंडी चीज़ें गले को प्रभावित करती हैं और संक्रमण को और बढ़ावा देती हैं।
तेल-मसालेदार और भारी खानापाचन कमजोर होता है, जिससे उल्टी-दस्त और कमजोरी बढ़ सकती है। यह शरीर को पोषण देने के बजाय और थका देता है।
बासी या बाहर का खानाऐसे खाने में बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं, जो वायरल संक्रमण में शरीर को और नुकसान पहुंचा सकते हैं।
नींद पूरी न लेनाबुखार या डेंगू में शरीर को आराम सबसे ज़रूरी होता है। कम नींद से इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और बीमारी लम्बी खिंचती है।
शरीर पर ज़्यादा मेहनत या खेत-खलिहान का कामकमजोरी में काम करने से शरीर और टूट जाता है। बुखार में सिर्फ आराम ही इलाज है।
पानी कम पीना या प्यास लगने पर ही पीनाडेंगू में पानी की कमी से प्लेटलेट्स गिरते हैं। लगातार पानी, नारियल पानी या ओआरएस लेते रहना चाहिए।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी और जन जागरूकता के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय सलाह का विकल्प नहीं है। यदि आपको डेंगू या इससे मिलते-जुलते लक्षण हैं, तो तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर या स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें। किसी भी दवा या घरेलू उपाय को अपनाने से पहले चिकित्सकीय सलाह लेना अनिवार्य है। लेखक और वेबसाइट किसी भी स्व-उपचार या गलत उपयोग के लिए ज़िम्मेदार नहीं होंगे।

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